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लेख-निबंध >> मैंने सपना देखा

मैंने सपना देखा

नासिरा शर्मा

प्रकाशक : लोकभारती प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :160
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 16796
आईएसबीएन :9788119133369

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"अधूरी आज़ादी की पूरी कहानी : संघर्ष और सृजन की साक्षी आधुनिक नारी।"

रूढ़ियों और परम्पराओं से मुक्त होते हुए आधुनिक स्त्री जहाँ पहुँची है, वहाँ आकर लगता है कि औरत का सुख सिर्फ़ आज़ादी में भी नहीं है। औरत रचना का नाम है, ख़ुदा के बाद सृजनात्मक शक्ति उसी के पास है, तोड़-फोड़ करके भी वह सन्तुष्ट नहीं रह पाती है। औरतों की जो समस्याएँ हैं वो ख़त्म होने का नाम नहीं ले रही हैं बल्कि हर दिन नये-नये रूप धरकर हमारे सामने आ जाती हैं। लेकिन जिस तरह समस्याएँ नहीं ख़त्म हो रही हैं, उसी तरह उनसे जूझने वाले भी अपने हथियार फेंकने को तैयार नहीं हैं।

‘मैंने सपना देखा’ में कुछ ऐसे लेख शामिल हैं जो समाज, साहित्य और सियासत में औरत की उपस्थिति और स्थिति को तलाश करने की कोशिश में लिखे गए हैं। ये सारे लेख नासिरा जी के सूक्ष्म अवलोकन, व्यापक अनुभव और विचार के एक निर्बाध सिलसिले के रूप में शब्दबद्ध हुए हैं। दुनिया में औरत एक सच है। उस सच को बहुतों ने स्वीकार कर उसकी महिमा में बहुत कुछ लिखा और कहा है। इसी के साथ यह भी एक सच है कि वह औरत, जो इनसान को जन्म देती है, बार-बार उत्पीड़न की शिकार होती है। उस शोषण, ज़ुल्म और असमानता का बयान भी कुछ लेख करते हैं।

दरअसल इन बातों को दोहराने की ज़रूरत अभी कुछ वर्षों तक और बनी रहेगी क्योंकि कुछ औरतों के स्वावलम्बी होने, सुखद पारिवारिक जीवन पाने और आर्थिक स्वतंत्रता हासिल करने से यह साबित नहीं होता कि आधी आबादी हर दुख-दर्द से मुक्त हो चुकी है। अस्सी प्रतिशत औरतें आज भी कई स्तरों पर परेशान हैं। उनका दुख शराबी पति ही नहीं बल्कि पति का सामाजिक और सियासत के स्तर पर शोषण भी है।

अलग-अलग वक़्तों और अलग-अलग ज़मीनों पर औरत के सामने मौजूद चुनौतियों और संघर्षों का दस्तावेज़ीकरण भी ये लेख करते हैं।

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